भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा - 56
(कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण)
(1) जो कोई कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण करेगा, यदि वह अपराध उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप न किया जाए और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के लिए इस संहिता के अधीन कोई अभिव्यक्त उपबन्ध नहीं किया गया है, तो वह उस अपराध के लिए उपबन्धित किसी भांति के कारावास से ऐसी अवधि के लिए, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित दीर्घतम अवधि के एक चौथाई भाग तक की हो सकेगी, या ऐसे जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा, और यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति ऐसा लोक सेवक हो, जिसका कर्त्तव्य ऐसे अपराध के किए जाने को निवारित करना हो, तो वह दुष्प्रेरक उस अपराध के लिए उपबन्धित किसी भांति के कारावास से ऐसी अवधि के लिए, जो उस अपराध के लिए उपवन्धित दीर्घतम अवधि के आधे भाग तक की हो सकेगी, या ऐसे जुर्माने से, जो अपराध के लिए उपबन्धित है, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
उदाहरण- (क) मिथ्या साक्ष्य देने के लिए श्याम को राम उकसाता है। यहां, यदि श्याम मिथ्या साक्ष्य न दे, तो भी राम ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है, और वह तदनुसार दण्डनीय है।
(ख) राम, एक पुलिस अधिकारी, जिसका कर्त्तव्य लूट को निवारित करना है, लूट किए जाने का दुष्प्रेरण करता है। यहां, यद्यपि वह लूट नहीं की जाती, राम उस अपराध के लिए उपबन्धित कारावास की दीर्घतम अवधि के आधे से, और जुर्माने से भी, दण्डनीय है।
(ग) दिनेश द्वारा, जो एक पुलिस अधिकारी है, और जिसका कर्त्तव्य लूट को निवारित करना है, उस अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण राम करता है। यहां यद्यपि वह लूट न की जाए, राम लूट के अपराध के लिये उपबंधित कारावास की दीर्धतम अवधि के आधे से और जुर्माने से भी, दण्डनीय है
अपराध का वर्गीकरण
भाग- 1: सजा : उस दीर्घतम अवधि के एक-चौथाई भाग तक का कारावास जो अपराध के लिए उपबन्धित है, या जुर्माना,
संज्ञान: संज्ञेय है या असंज्ञेय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है
जमानत: जमानतीय है या अजमानतीय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है
विचारणीय: उस न्यायालय द्वारा विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है -
अशमनीय: समझौता करने योग्य नहीं
भाग- 2: सजा : उस दीर्घतम अवधि के आधे भाग तक का कारावास, जो अपराध के लिए उपवन्धित है, या जुर्माना,
संज्ञान: संज्ञेय है या असंज्ञेय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है
जमानत: जमानतीय है या अजमानतीय उस न्यायालय द्वारा द्वारा विचारणीय है
विचारणीय: उस न्यायालय द्वारा विचारणीय है जिसके द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है -
अशमनीय: समझौता करने योग्य नहीं
(IPC) की धारा 116 को (BNS) की धारा 56 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते हैं। |